{ Page-Title / Story-Title }

Review Magdhi

हैंडओवर रिव्ह्यु – सर्वहारा वर्ग के कभी न ख़त्म होनेवाले संघर्ष की उत्कट कहानी

Release Date: 2011 / Rated: U/A / 01hr 13min

Read in: English


Cinestaan Rating

  • Acting:
  • Direction:
  • Story:

Suyog Zore

पहली बार निर्देशन कर रहे सौरभ कुमार की ये फ़िल्म नौ वर्ष के इंतज़ार के बाद आखिरकार एमएक्स प्लेयर पर प्रदर्शित हुई है।

निर्देशक सौरभ कुमार की ज़बरदस्त सामाजिक फ़िल्म हैंडओवर नौ वर्ष के बाद अंततः प्रदर्शित हुई है। ये भी देखिये कितना रोचक है, जिन्होंने उन लाखों लोगों के दुःख को सामने लाया जिन्हें घर में खाना लाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है, उन्ही को फ़िल्म प्रदर्शन के लिए आग से गुजरना पड़ा।

द हिंदू अखबार में छपे एक समाचार से प्रेरित हैंडओवर में भारत के सर्वहारा वर्ग के कभी न ख़त्म होनेवाले संघर्ष की उत्कट कहानी दर्शाई गयी है।

बिहार के एक दलित जोड़ी की ये कहानी है, जो अपने दवा का खर्चा न दे पाने के कारण अपनी नन्ही बेटी को रिश्तेदार को बेचने का निर्णय लेते हैं। पर जल्द ही मिडिया को इसकी भनक लग जाती है और ये एक राष्ट्रिय मुद्दा बन जाता है। इस विषय पर हर तरफ से बढ़ रहे दबाव के बाद स्थानिक सरकारी अधिकारी रतन दास (विकास कुमार) इसकी छानबीन करता है और बच्चे को अपने असली माता-पिता से मिलाने की कोशिश करता है।

इस फ़िल्म द्वारा पहली बार निर्देशन कर रहे सौरभ कुमार ने ही फ़िल्म का स्क्रीनप्ले और संवाद भी लिखे हैं और एक हृदयद्रावक कहानी दर्शाई है। राधा (नूतन सिन्हा) और हरी पासवान (नरेंद्र कुमार) हर रोज़ काम करके रु२० प्रति दिन कमातें हैं। वे पहले ही अपना एक बच्चा खो चुके हैं। परिस्थिति और ख़राब होती है जब पति को टीबी हो जाता है।

विकास कुमार भावनिक कशमकश में फसे अधिकारी की भूमिका में काफी प्रभावी हैं। एक तरफ नियम कहता है के बच्चे को माता-पिता तक पहुँचाया जाए, पर दूसरी तरफ वो ये भी जानता है के बच्चे के माँ-बाप उसकी देखभाल नहीं कर पाएंगे। विकास कुमार किरदार की दुविधा को सराहनीय ढंग से पेश करते हैं।

सिन्हा ने दुःखी माँ और अपने परिवार के लिए हर संभव प्रयास कर रही पत्नी की भूमिका को नाप-तोल के संतुलित ढंग से पेश किया है। फ़िल्म देखते हुए ये तो समझ आता है के हैंडओवर छोटी लागत से बनी फ़िल्म है, पर फिर भी कहानी से आपका ध्यान हटता नहीं ये विशेष है।

बनने के लगभग एक दशक बाद ये फ़िल्म प्रदर्शित हुई है, पर शायद प्रदर्शन के लिए इससे अच्छा समय कोई और ना होता। ये हमें हमारे सुविधामय जीवन की याद दिलाता है, खासकर इस समय में, जहाँ रोजंदारी पे काम करनेवाले कई मज़दूर अपनी ज़रूरतों को पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

हैंडओवर एमएक्स प्लेयर पर उपलब्ध है।

 

Related topics

MX Player

You might also like